Ganesh Chaturthi Puja Vidhi 2023: Ganesh Chaturthi Shubh Muhurat Ganesh Chaturthi Date And Time गणेश चतुर्थी भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाता है। मान्यता है कि गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को मध्याह्न काल में स्वाति नक्षत्र एवं सिंह लग्न में हुआ था। इसलिए यह चतुर्थी मुख्य गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी कहलाती है। इस बार गणेश चतुर्थी 19 September 2023 को यह पर्व मनाया जायेगा। Ganesh Chaturthi Puja Vidhi, Ganesh Chaturthi Muhurat, Ganesh Chaturthi Puja.
Ganesh Chaturthi Puja Vidhi2023
Ganesh Chaturthi Puja Vidhi2023 – Ganesh Chaturthi भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को मध्याह काल में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी प्रथम पूजा श्री गणेश का प्रमुख त्यौहार गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है।
Ganesh Chaturthi Puja Vidhi 2023
Ganesh Chaturthi सनातन धर्म के आदि पंच देवों में श्री गणेश एक प्रमुख देव मानें जाते है। भगवान गणेश जी को रिध्दि – सिध्दी के दाता और शुभ -लाभ के प्रदाता माने गए है। भक्तो की बाधा संकट रोग दोष तथा द्तिद्र्ता को दूर करते है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है। की श्री गणेश जी का विशेष पूजा का दिन बुधवार माना गया है। जो (सप्ताह में बुधवार का दिन श्री गणेश जी की पूजा का दिन माना गया है)
Ganesh Chaturthi Puja Vidhi 2023 । Shubh Muhurat Date And Time
वही प्रथम पूजा श्री गणेश का प्रमुख त्यौहार Ganesh Chaturthi का माना जाता है। जो भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाता है। मान्यता है। की गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को मध्याह काल में सोमवार स्वाती नक्षत्र एवं सिंह लगन में हुआ था इसलिए यह चतुर्थी मुख्य गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी कहलाती है। इस साल यानि 2023 में यह गणेश चतुर्थी का पर्व 19 September 2023 को मनाया जाएगा।
Ganesh Chaturthi Muhurat
- इस पर्व मध्याह के समय मौजूद (मध्यान्ह्व्यपिनी ) चतुर्थी ली जाती है,
- इस दिन रविवार या मंगलवार हो तो यह माह चतुर्थी हो जाती है,
गणेश पूजन के लिए मध्याह्न मुहूर्त :11:04:43 से 13:37:56 तक
अवधि :2 घंटे 33 मिनट
समय जब चन्द्र दर्शन नहीं करना है :15:35:21 से 20:38:59 तक 30, अगस्त को
समय जब चन्द्र दर्शन नहीं करना है :09:26:59 से 21:10:00 तक 31, अगस्त को
Ganesh Chaturthi Muhurat
इस दिन व्रत करने वाले को प्रात:स्नान करने के बाद सोने, तांबे,मिट्टी की गणेश प्रतिमा लें.
एक कोरे कलश में जल भरकर उसके मुह पर कोरा वस्त्र बाँधकर उसके उपर गणेश जी को विराजमान करें.
गणेश जी को सिंदूर व दूर्वा अर्पित करके 21 लड्डूओं का भोग लगाए इनमें से 5 लड्डू गणेश जी को अर्पित करके शेष लड्डू गरीबोँ या ब्राह्मणों को बाँट दे.
सायकल के समय गणेश जी का पूजा करना चाहिए गणेश चतुर्थी की कथा, गणेश चालीसा व आरती पढने के बाद अपनी द्रष्टि को नीचे रखते हुए चंद्रमा को अधर्य देना चाहिए.
इस दिन गणेश जी के सिध्दी विनायक रूप की पूजा व व्रत किया जाता है.
Shri Ganesh Chaturthi Mantra
गणेश जी की पूजा प्रारंभ करने से पूर्व नीचे दिए मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्॥
Importance of Ganesh Chaturthi
गणेश चतुर्थी का महत्व माना जाता है| कि भगवान श्री कृष्ण पर स्यमन्तक मणि चोरी करने का झूठा कलंक लगा था, और वे अपमानित हुए थे। नारद जी ने उनकी यह दुर्दशा देखकर उन्हें बताया कि उन्होंने भाद्रपद शुक्लपक्ष की चतुर्थी को ग़लती से चंद्र दर्शन किया था। इसलिए वे तिरस्कृत हुए हैं। नारद मुनी ने उन्हें यह भी बताया कि इस दिन चंद्रमा को गणेश जी ने श्राप दिया था। इसलिए जो इस दिन चंद्र दर्शन करता है| उसपर मिथ्या कलंक लगता है। नारद मुनी की सलाह पर श्री कृष्ण जी ने गणेश चतुर्थी का व्रत किया, और दोष मुक्त हुए। इसलिए इस दिन पूजा व व्रत करने से व्यक्ति को झूठे आरोपों से मुक्ति मिलती है। “भारतीय संस्कृति में गणेश जी को विद्या-बुद्धि का प्रदाता, विघ्न-विनाशक, मंगलकारी, रक्षाकारक, सिद्धिदायक, समृद्धि, शक्ति और सम्मान प्रदायक माना गया है।”
वैसे तो प्रत्येक मास के “कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को “संकष्टी गणेश चतुर्थी” व शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को “वैनायकी गणेश चतुर्थी” मनाई जाती है|” लेकिन वार्षिक गणेश चतुर्थी को गणेश जी के प्रकट होने के कारण उनके भक्त इस तिथि के आने पर उनकी विशेष पूजा करके पुण्य अर्जित करते हैं। अगर “मंगलवार को यह गणेश चतुर्थी आए तो उसे अंगारक चतुर्थी कहते हैं।” जिसमें पूजा व व्रत करने से अनेक पापों का शमन होता है। “अगर रविवार को यह चतुर्थी पड़े तो भी बहुत शुभ व श्रेष्ठ फलदायी मानी गई है।” महाराष्ट्र में यह पर्व गणेशोत्सव के तौर पर मनाया जाता है। जो कि दस दिन तक चलता है, और अनंत चतुर्दशी (गणेश विसर्जन दिवस) पर समाप्त होता है। इस दौरान गणेश जी को भव्य रूप से सजा कर उनकी पूजा की जाती है। अंतिम दिन गणेश जी की ढोल-नगाड़ों के साथ झांकियां निकालकर उन्हें जल में विसर्जित किया जाता है।