Happy Makar Sankranti 2024 Date And Time शुभ मुहूर्त जानें देवताओं का दिन क्यों कहा जाता है मकर संक्रांति को

Happy Makar Sankranti 2024 Happy Makar Sankranti 2024 Date And Time शुभ मुहूर्त जानें देवताओं का दिन क्यों कहा जाता है| मकर संक्रांति का पर्व इस बार 14 जनवरी 2024 को मनाया जाएगा| ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है, तब मकर संक्रांति होती है| इस साल 2024 में मकर संक्रांति में 14 जनवरी 2024 की रात्रि में सूर्य उतरायण होंगे. यह कहना गलत है की सूर्य इसी दिन उतरायण में होता है तथ्य यह है की उतरायण का प्रारम्भ 21 व 22 दिसंबर का होता है|

हैप्पी मकर संक्रांति

लगभग अठारह सौ साल पहले ग्रह गणित के करण संक्रांति और उतरायण स्थिति एक ही समय होती थी| इसी वजह से कुछ जगह संक्रांति और उतरायण को एक ही समझा जाता है| तमिलनाडू में इसे पोंगल के रूप में मनाते है| कर्नाटक केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे सिर्फ संक्रांति कहते है| जिसे गोवा,ओडिशा, हरियाणा, बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उतर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, और जम्मू आदि प्रांतों में इसे मकर संक्रांति कहते है|

हैप्पी मकर संक्रांति शुभ मुहूर्त 14 जनवरी 2024

हैप्पी मकर संक्रांति शुभ मुहूर्त 2024 इस साल मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जायेगा। दरअसल इस बार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 15 जनवरी को शाम 7 बजकर 50 मिनट पर हो रहा है| और शास्त्रों के नियमानुसार अगर शाम को मकर संक्रांति का पर्व पड़ता है. शास्त्रों में बताया गया है कि संक्रांति के दिन शुरू के छह घंटे के अंदर यदि दान पुण्य किया जाये तो उसका विशेष महत्व होता है. इस लिहाज से 14 जनवरी को शाम 7.50 के बाद छह घंटे तक किये गये दान का अभीष्ट लाभ मिलेगा| हालांकि 14 जनवरी को भी पूरे दिन दान पुण्य के कार्य किए जा सकते हैं|.

मकर संक्रान्ति मुहूर्त 2024

मकर संक्रान्ति मुहूर्त

पुण्य काल मुहूर्त :- 07:15:13 से 12:30:00 तक
अवधि :- 5 घंटे 14 मिनट
महापुण्य काल मुहूर्त :- 07:15:13 से 09:15:13 तक
अवधि :- 2 घंटे 0 मिनट
संक्रांति पल :- 20:21:45 14, जनवरी को

मकर संक्रांति पर तिल के महत्व की पौराणिक कहानियाँ

एक पौराणिक कथा के अनुसार शनि देव को उनके पिता सूर्य देव पसंद नहीं करते| इसी कारण सूर्य देव ने शनि देव और उनकी मां छाया को अपने से अलग कर दिया| इस बात से क्रोध में आकर शनि और उनकी मां ने सूर्य देव को कुष्ठ रोग का श्राप दे डाला पिता को कुष्ठ रोग में पीड़ित देख यमराज (जो कि सूर्य भगवान की दूसरी पत्नी संज्ञा के पुत्र हैं|) ने तपस्या की यमराज की तपस्या से सूर्यदेव कुष्ठ रोग से मुक्त हो गए| लेकिन सूर्य देव ने क्रोध में आकर शनि देव और उनकी माता के घर ‘कुंभ’ (शनि देव की राशि) को जला दिया. इससे दोनों को बहुत कष्ट हुआ|.

देवताओं का दिन क्यों माना जाता है मकर संक्रांति को

उतरायण काल को ऋषि मुनियों ने जप तप और सिद्धि प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण माना है| मकर संक्रांति दिन इसे देवताओं का दिन माना जाता है| गीता में स्वयं श्रीकृष्ण ने कहा है| कि उत्तरायण के छह माह में पृथ्वी प्रकाशमय होती है| इसके अलावा उत्तरायण को देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि माना गया है| भावात्मक रूप से उत्तरायण शुभ और प्रकाश का प्रतीक है। तो दक्षिणायन कलंक कालिमा का मार्ग मानते हैं| श्रीकृष्ण ने इसे पुनरावृत्ति देने वाला धूम्र मार्ग वाला कहा है|.

मकर संक्रांति पर दान का बड़ा महत्व क्यों माना जाता है

इस दिन गरीबों और जरूरतमंद को दान देना बेहद पुण्यकारी माना जाता है| इस दिन खिचड़ी का दान देना विशेष रूप से फलदायी माना गया है| देश के विभिन्न मंदिरों को इस दिन विशेष रूप से सजाया जाता है| और इसी दिन से शुभ कार्यों पर लगा प्रतिबंध भी खत्म हो जाता है| महाराष्ट्र में इस दिन सभी विवाहित महिलाएं अपनी पहली संक्रांति पर कपास, तेल, नमक आदि वस्तुएं सुहागिन महिलाओं को दान करती हैं| तमिलनाडु में इस त्योहार को पोंगल के रूप में चार दिन तक मनाया जाता है| पहले दिन कचरा जलाया जाता है, दूसरे दिन लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है| तीसरे दिन पशु धन की पूजा की जाती है|.