Kamala Ekadashi Vrat 2023: Puja Vidhi Vrat Katha, Kamala Ekadashi Vrat Puja Vidhi, Kamala Ekadashi Vrat Katha कमला एकादशी व्रत 2023 कमला एकादशी व्रत पूजा विधि व्रत कथा कमला एकादशी व्रत कमला एकादशी व्रत विधि कमला एकादशी व्रत कथा Kamala Ekadashi अधिक मास या फिर मल मास में शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली Ekadashi तिथि को कहा जाता है| इसे कमला या पुरुशोतमी एकादशी भी कहते है| हिन्दू पंचांग के अनुसार पद्मिनी एकादशी का व्रत जो महिना अधिक हो जाता है| उस पर निर्भर करता है| पद्मिनी एकादशी का उपवास करने के लिए कोई चन्द्र मास तय नही है|.
अधिक मास को लिप महीने के नाम से भी जाना जाता है| Kamala Ekadashi 2023, एकादशी व्रत Kamala Ekadashi Puja, कमला एकादशी व्रत विधि Kamala Ekadashi Vrat Vidhi, कमला एकादशी पूजा विधि, Purushottam Ekadashi 2023, कमला एकादशी व्रत सामग्री, Purushottam Ekadashi Vrat 2023, Kamala Ekadashi Vrat Vidhi in Hindi.
Kamala Ekadashi Vrat 2023 Shubh Muhoort
कमला एकादशी व्रत ही नही बल्कि किसी भी शुभ कारिय करने से पहले शुभ मुहूर्त को देखा गजाता है| Kamala Ekadashi व्रत ही नही बल्कि तीज त्यौहार आदि भी शुभमुहूर्त के अनुसार कारिय किया जाता है| इस लिए Kamala Ekadashi का व्रत करने वाली महिलाएँ व कन्याए आदि कमला एकादशी का व्रत करती है| तो शुभमुहूर्त के अनुसार ही करे| कमला एकादशी व्रत 2023 का मुहूर्त जो इस प्रकार से है.
कमला एकादशी व्रत | 12 Auguet 2023 |
पध्मिनी एकादशी पारणा मुहूर्त | 06:12:41 से 08:36:09 तक |
अवधि | 2 घंटे 23 मिनट |
Kamala Ekadashi Vrat Puja Vidhi 2023
कमला एकादशी व्रत 2023 का उपवास करते समय ध्यान रहे की पध्मिनी एकादशी व्रत करते समय किसी भी प्रकार की कोई जल्दबाजी ना करे| किसी कार्य को या तो करे ही नही करे तो पुरे विधि विधान से करना चाहिएं| व्रत को विधि विधान से करने से मनोकामना पूर्ण होती है| और जिस कार्य के लिए व्रत कर रहे है| वह कार्य पूर्ण होगा| कमला एकादशी करने की विधि इस प्रकार से है |.
● प्रातः स्नानादि से निवृत होकर भगवान विष्णु की विधि पूर्वक पूजा करें|.
● निर्जल व्रत रखकर विष्णु पुराण का श्रवण अथवा पाठ करें|.
● रात्रि में भजन कीर्तन करते हुए जागरण करें|.
● रात में प्रति पहर विष्णु और शिवजी की पूजा करें|.
● प्रत्येक प्रहर में भगवान को अलग-अलग भेंट प्रस्तुत करें जैसे- प्रथम प्रहर में नारियल, दूसरे प्रहर में बेल, तीसरे प्रहर में सीताफल और चौथे प्रहर में नारंगी और सुपारी आदि|.
● द्वादशी के दिन प्रात: भगवान की पूजा करें|
● फिर ब्राह्मण को भोजन कराकर दक्षिणा सहित विदा करें|.
● इसके पश्चात स्वयं भोजन करें|.
● पध्मिनी एकादशी व्रत का महत्व ऐसा माना जाता है की पध्मिनी एकादशी भगवान विष्णु जी का अति प्रिय है| इसलिए इस व्रत का विधि पूर्वक पालन करने वाला वीष्णु लोक को जाता है तथा सभी प्रकार के येजो , व्रतों एव तपस्या की फल की प्राप्ति होती है|.
Ekadashi Vrat Katha And Pooja Story
एकादशी व्रत कों पध्मिनी एकादशी व्रत भी कहते है| जो स्त्री या महिलाएँ जो भी व्रत करती है| उसके पीछे कहानियां ज़रूर होती है| जो इस प्रकार है ता युग में एक पराक्रमी राजा जिसका नाम कीतृवीर्य था। इस राजा की कई रानियां थी परंतु किसी भी रानी से राजा को पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई| संतानहीन होने के कारण राजा और उनकी रानियां तमाम सुख सुविधाओं के बावजूद दु:खी रहते थे| संतान प्राप्ति की कामना से तब राजा अपनी रानियों के साथ तपस्या करने चल पड़े| हज़ारों वर्ष तक तपस्या करते हुए राजा की सिर्फ हड्डियां ही शेष रह गयी परंतु उनकी तपस्या सफल न हो सकी| रानी ने तब देवी अनुसूया से उपाय पूछा|.
देवी ने उन्हें मल मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करने के लिए कहा| अनुसूया ने रानी को व्रत का विधान भी बताया| रानी ने तब देवी अनुसूया के बताये विधान के अनुसार पद्मिनी एकादशी का व्रत रखा| व्रत की समाप्ति पर भगवान प्रकट हुए और वरदान मांगने के लिए कहा|रानी ने भगवान से कहा प्रभु आप मुझ पर प्रसन्न हैं| तो मेरे बदले मेरे पति को वरदान दीजिए| भगवान ने तब राजा से वरदान मांगने के लिए कहा| राजा ने भगवान से प्रार्थना की कि आप मुझे ऐसा पुत्र प्रदान करें जो सर्वगुण सम्पन्न हो जो तीनों लोकों में आदरणीय हो| और आपके अतिरिक्त किसी से पराजित ना हो| भगवान तथास्तु कह कर विदा हो गये| कुछ समय पश्चात रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया जो कार्तवीर्य अर्जुन के नाम से जाना गया| कालान्तर में यह बालक अत्यंत पराक्रमी राजा हुआ जिसने रावण को भी बंदी बना लिया था.