This Festival of Rakhi 2020. Raksha Bandhan Is Celebrated Every Year and This Year Will Be Celebrated On 3 August 2020. And the Auspicious Time of This Festival Is From the Time of Tying Of Rakhi: 09:27:30 to: 21: 17: 03, Duration: 11 Hours 49 Minutes, Raksha Bandhan Afternoon Muhurta: 13:47:39 To 16:28:56, Raksha Bandhan Pradosh Muhurta: 19:10:14 To 21:17:03,
रक्षाबंधन 2020 तारीख व शुभ मुहूर्त पूजा विधि: Raksha Bandhan, Raksha Bandhan 2020 Kab Hai, Raksha Bandhan Date And Time, Raksha Bandhan Shubh Muhrt Muhurt, Rakshan Bandhan Muhurat 2020, Raksha Bandhan Puja Vidhi, रक्षाबंध 2020, रक्षाबंध शुभ मुहूर्त 2020, रक्षाबंध Date And Time 2020, रक्षाबंध पूजा विधि 2020, रक्षा बंधन 2020:- आईए जानते है की 2020 में रक्षा बंधन कब है| व रक्षा बंधन 2020 की तारीख व मुहूर्त| रक्षाबंधन यह त्यौहार प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाते है. इसलिए इसे राखी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है| यह पर्व भाई बहन के प्रेम का उत्सव है इस दिन बहने भाइयों की समर्धि के लिए उनकी कलाई पर रंग बिरंगी राखियाँ बांधती है| वही भाई बहनों को उनकी रक्षा कवच देते है| कुछ क्षेत्रों में इस पर्व को राखी भी कहते है. यह सबसे बड़े हिन्दू त्योहारों में से एक है
यह रक्षा बंधन का त्यौहार भाई बहन के अटूट रिश्ते को दर्शाता है| रक्षा बंधन का त्यौहार सदियों से चलता आ रहा है. यह भाई बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाता है| रक्षा बंधन के दिन बहने अपने भाई की कलाई में रक्षा सूत्र बांधती है| हिंदुओं के लिए इस त्यौहार का विशेष महत्व होता है जानते है इस साल रक्षा बंधन कब मनाया जाएगा और इस पर्व का मुहूर्त क्या है|
Raksha Bandhan 2020 Date And Time
यह रक्षा बंधन का त्यौहार प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है| यह त्यौहार पुरे भारत में मनाया जाता है. तथा इस साल 3 अगस्त सोमवार को मनाया जाएगा| यह त्यौहार प्रत्येक वर्ष श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है| और इस वर्ष 2020 में 3 अगस्त 2020 को यह तिथि पड़ रही है|तो इस वर्ष 3 अगस्त 2020 को रक्षा बंधन का त्यौहार मनाया जाएगा|
राखी बंधने का शुभ मुहूर्त 2020 (Raakhee Bandhane Ka Shubh Muhoort 2020)
राखी बांधने का मुहूर्त :- 09:27:30 से :21:17:03 तक
अवधि:- 11 घंटे 49 मिनट
रक्षा बंधन अपराह मुहूर्त :- 13:47:39 से 16:28:56 तक
रक्षा बंधन प्रदोष मुहूर्त :- 19:10:14 से 21:17:03 तक
रक्षा बंधन का पर्व श्रावण मास में उस दिन मनाया जाता है| जिस दी पूर्णिमा अपराह काल में पड़ रही हो हालाँकि आगे दिए इस नियमों को भी ध्यान में रखना आवश्यक है [1] यदि पूर्णिमा के दौरान अपराह काल में भद्रा हो तो रक्षा बंधन नही मनाना चाहिए ऐसे में यदि पूर्णिमा अगले दिन के शुरूआती तीन मुहूर्तो में हो तो पर्व सारे विधि विधान अगले दिन के अपराह काल में करने चाहिए [2] लेकिन यदि पूर्णिमा अगले दिन के शुरूआती 3 मुहूर्तो में ना हो तो रक्षा बंधन को पहले दी दिन भद्रा के बाद प्रदोष काल के उतरार्ध में मना सकते है|
राखी बाँधते समय जानिए पूजन की थाली में क्या सामग्री रखना चाहिए
रक्षा बंधन पर्व की मंगलमयी थाली
1. भाई को बांधने के लिए राखी।
2. तिलक करने के लिए कुंकु व अक्षत।
3. नारियल।
4. मिठाई।
5. सिर पर रखने के लिए छोटा रुमाल अथवा टोपी।
6. इसके अलावा आप भाई को अपनी तरफ से कोई गिफ्ट या उपहार या नगदी देना चाहे तो वो रख सकते हैं।
7. आरती उतारने के लिए दीपक।
इस विधि से भाई की कलाई में बांधे राखी
रक्षा बंधन के दिन सुबह सुबह उठकर स्नान करें और शुद्ध कपड़े पहने इसके बाद घर को साफ करे और चावल के आटे का चोक पुरकर मिटी के छोटे से घड़े की स्थापना करे चावल, कच्चे सूत का कपड़ा, सरसों, रोली को एकसाथ मिलाए फिर पूजा की थाली तेयार कर दीप जलाए थाली में मिठाई रखे इसके बाद भाई को पीढ़े पर बिठाए अगर पीढ़ा आम की लकड़ी का बना हो तो सर्वश्रेष्ठ है। तथा रक्षा सूत्र बांधते वक्त भाई को पर्व दिशा की और बिठाएं वही भाई को तिलक लगते समय बहन का मुह पश्चिम दिशा की और होना चाहिए इसके बाद भाई के माथे पर टीका लगाना लगाकर दाहिनी हाथ पर रक्षा सूत्र बांधे राखी बांधने के बाद भाई की आरती उतारे फिर उसको मिठाई खिलाए अगर बहन बड़ी हो तो छोटे भाई को आशीर्वाद दें और छोटी हो तो बड़े भाई को प्रणाम करे
रक्षा बंधन पर्व का धार्मिक महत्व 2020
.रक्षा बंधन पर्व का धार्मिक महत्व जाने क्या है : मान्यताओं के अनुसार इस दिन द्रोपदी ने भगवान क्रष्ण के हाथ पर चोट लगने के बाद अपनी साड़ी से कुछ कपड़ा फाडकर भगवान क्रष्ण के हाथ पर बांधा था| द्रोपदी की इस उदारता के लिए श्री क्रष्ण ने उन्हें वचन दिया था| की वे द्रोपदी की हमेशा रक्षा करेगी इसलिए दू:शासन द्वारा चिरहरण की कोशिश के समय भगवान क्रष्ण ने आकर द्रोपदी की रक्षा की थी|
.एक अन्य ऐतिहासिक जनश्रुति के अनुसार मदद हासिल करने के लिए चितोड़ की रानी कर्णावती ने मुगल सम्राट हुमायु को राखी भेजी थी हुमायु ने राखी का समान किया और अपनी बहन की रक्षा गुजरात से सम्राट से की थी|
.ऐसा भी माना जाता है की इस दिन देवी लक्ष्मी ने सम्राट बाली की कलाई पर राखी बांधी थी|