Santan Saptami Vrat 2023 Shubh Muhoort Pooja Vidhi | Santan Saptami Vrat Date | Santan Saptami Puja Vidhi | Santan Saptami Kath | Santan Saptami Date, सन्तान प्राप्ति के लिए किया जानें वाला व्रत : साल की एकादशीयों को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है| पोष और श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी कों पुत्रदा एकादशी कहते है| अंग्रेजी केलेण्डर के अनुसार वर्तमान में पोष शुक्ल पक्ष की एकादशी दिसम्बर या जनवरी के महीने में पड़ती है| जबकि श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी जुलाई या अगस्त के महीने में पड़ती है| पोष महा की पुत्रदा एकादशी उतर भारत के प्रदेशों में ज्यादा महत्वपूर्ण जबकि श्रावण माह की पुत्रदा एकादशी दूसरे प्रदेशों में ज्यादा महत्वपूर्ण है|.

Putrada Ekadashi Vrat Ka Dhaarmik Mahatv
दक्षिण भारत में श्रावण मास में पुत्रदा एकादशी की विशेष महत्व है| मान्यताओं के अनुसार श्रावण माह में पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से वाजपेयी यज्ञ के समान पुण्य फल की प्राप्ति होती है| यदि पूर्ण मनोयोग से निसंतान दंपति इस व्रत को करें तो उन्हें संतान शुख अवश्य मिलता है| पुत्रदा एकादशी का व्रत संयमित तरीके से फला हार के साथ भी किया जाता है|.
Special Rules Putrada Ekadashi Vrat
- संतान की कामना हेतु एकादशी के दिन भगवान क्रष्ण या विष्णु की पूजा करनी चाहिए|.
- निर्जल व्रत स्वस्थ व्यक्ति को रखना चाहिए|.
- आम लोगों को फला हार या जल पर उपवास रखना चाहिए|.
Ekadashi Vrat Pooja Material
फल, फूलों की माला, नारियल, सुपारी, अनार, लोंग, धुप, दीपक, घी, पंचाम्रत (कच्चे दूध, घी, चीनी, और शहद का मिश्रण अक्षत, कुमकुम, लाल चंदन, तील से बने हुए मिष्ठान etc.
Santan Saptami Vrat 2023 Shubh Muhoort, Pooja Vidhi | सन्तान प्राप्ति के लिए किया जानें वाला व्रत
Shravan Putrada Ekadashi Vrat Vidhi
एकादशी के दिन सुबह उठकर भगवान विष्णु का स्मरण करें|.
फिर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें|.
अब घर के मन्दिर में श्री हरी विष्णु की मूर्ति या फोटो के सामने दीपक जला कर व्रत का संकल्प ले|.
भगवान विष्णु की प्रतिमा या फोटो को स्नान कराए और वस्त्र पहनाए|.
अब भगवान विष्णु को नेवेध और फूलों का भोग लगाए. पूजा में तुलसी मौसमी फल और टिल का प्रयोग करें|.
इसके बाद श्री हरी विष्णु को धुप दीप दिखा कर विधिवत् पूजा अर्चना करें और आरती उतारे|.
पुरे दिन निराहार रहे शाम के समय कथा सुनने के बाद फला हार करें|.
रात्रि के समय जागरण करते हुए भजन कीर्तन करें|.
अगले दिन यानी की द्वादश को ब्राह्मणों को खाना खिलाए और यथा सामर्थ्य दान दें|.
अंत में खुद भी भोजन ग्रहण कर व्रत का पारण करें|.
Shravan Putrada Ekadashi Vrat Katha
श्री पद्मपुराण के अनुसार द्वापर युग में महिष्मतीपुरी का राजा मही जित बड़ा ही शांतिप्रिय और धर्म प्रिय था| लेकिन उसकी कोई संतान नहीं थी. राजा के शुभचिंतकों ने यह बात महामुनि लोमेश को बताई तो उन्होंने बताया कि राजन पूर्व जन्म में एक अत्याचारी, धनहीन वैश्य थे. इसी एकादशी के दिन दोपहर के समय वे प्यास से व्याकुल होकर एक जलाशय पर पहुंचे, तो वहां गर्मी से पीड़ित एक प्यासी गाय को पानी पीते देखकर उन्होंने उसे रोक दिया और स्वयं पानी पीने लगे. राजा का ऐसा करना धर्म के अनुरूप नहीं था| अपने पूर्व जन्म के पुण्य कर्मों के फलस्वरूप वे अगले जन्म में राजा तो बने, लेकिन उस एक पाप के कारण संतान विहीन हैं| महामुनि ने बताया कि राजा के सभी शुभचिंतक अगर श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को विधि पूर्वक व्रत करें और उसका पुण्य राजा को दे दें, तो निश्चय ही उन्हें संतान रत्न की प्राप्ति होगी| इस प्रकार मुनि के निर्देशानुसार प्रजा के साथ-साथ जब राजा ने भी यह व्रत रखा, तो कुछ समय बाद रानी ने एक तेजस्वी संतान को जन्म दिया| तभी से इस एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी कहा जाने लगा|.